कंधे का दर्द बहुत सामान्य समस्या बन चुकी है ।घर घर में कोई ना कोई कंधे के दर्द से पीड़ित है । ख़ासकर ये समस्या उन लोगों में ज़्यादा होती है जिनके Diabetes या Thyroid की समस्या होती है । आइए जाने कि कंधे का दर्द क्यूँ होता है और इसे कैसे सही किया जा सकता है ।
कंधे का जोड़ दो जोड़ों से मिल कर बना होता है । एक स्कैप्युला और गलेनोईड से बना होता है और दूसरा अक्रोमीयल और क्लैविकल से बना होता है ।कुछ कारणो से कंधे में पानी भर जाता है । ज़्यादातर ऐसा सब अक्रोमीयल जोईँट में होता है। ऐसा कंधे में चोट लगने से, जिम में बहुत ज़्यादा कसरत करने से, लम्बे समय तक कम्प्यूटर पर काम करने से, बहुत ज़्यादा ड्राइविंग करने से,बहुत लम्बे समय तक AC में काम करने से हो जाता है ।Diabetes और Thyroid में ऐसा होने की सम्भावना ज़्यादा रहती है ।
कंधे में दर्द ज़्यादातर रात को होता है। और कभी कभी इतना हो जाता है की भारी सामान उठाना मुश्किल हो जाता है। रात को दर्द वाली तरफ़ करवट ले कर सोना मुश्किल हो जाता है। पेशेंट रात को दर्द से ढंग से सो भी नहीं पाता। और कमर के पीछे साबुन लगाना, पीछे बटन बंद करना, सिर पर कंघी करना कैसे सामान्य काम भी मुश्किल हो सकते हैं।
जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर इसमें कंधे का x ray करवाने की सलाह देते हैं। ज़्यादातर x ray में कुछ ख़ास जानकरी नहीं मिल पाती। कई बार MRI भी करवाना पड़ जाता है । MRI पर ज़्यादातर ये बातें आ सकती हैं। कंधे का दर्द गर्दन में नस दबने से भी हो सकता है। इसके बारे में यहाँ पढ़ सकते हैं।
https://jointsguru.in/2020/07/23/5-ways-to-treat-neck-to-shoulder-pain-or-cervical-radiculopathy/
- Fluid accumulation in AC joint
- Acromial spur
- Partial cuff tear
- Adhesive capsulitis ( frozen Shoulder )
कंधे में AC जोईँट में fluid कलेक्शन सबसे कॉमन फ़ाइंडिंग होती है। इसकी वजह से तेज दर्द होता है। बाहर से देखने पर कंधा सामान्य लगता है। इसलिए जब डॉक्टर पेशेंट को कहतें है कि पानी कंधे में है तो वो चौक जाते हैं। इसका इलाज शुरू में दवा से किया जाता है। NSAIDS दिए जाते हैं। गर्म पानी की सिकायी भी बहुत काम आती है। इसके अलावा नहाते वक्त भी गर्म पानी डालना चाहिए और AC से बच कर रहना चाहिए। इससे कंधे का इन्फ़्लमेशन काम हो जाता है। इसके अलावा लाइफ़्स्टायल में भी कुछ चेंज करने होते है। जैसे कम्प्यूटर पर काम काम करना, लम्बे समय की ट्रैव्लिंग अवॉड करना, जिम में जाना बंद करना, कंधे पर भारी बैग ना रखना।
जिन लोगों को दवा से फ़ायदा नहीं होते उनको कंधे में इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है। कंधे में ये इंजेक्शन एक्स्पर्ट डॉक्टर से ही लगवाना चाहिए। इंजेक्शन लगवाने के 4 से 5 दिन बाद आराम मिल जाता है। उसके बाद फ़िजीयोथेरपी करवानी होती है। इंजेक्शन के कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होते।
कंधे में हड्डी बढ़ने से भी दर्द हो जाता है। इसे acromial स्पर कहते हैं। ये हड्डी जब पेशेंट कंधा ऊँचा करता है तो ये हड्डी कंधे की नसों में चुभती है। अगर स्पर का इलाज लम्बे समय तक नहीं किया जाए तो रोटेटर कफ़ tear भी बन सकता है।
जिन लोगों के MRI पर partial कफ़ tear होता है उन्हीं भी फ़िजीयोथेरपी की सलाह दी जाती है। मैं आपको कफ़ tear के बारे में बताता हूँ। रोटेटर कफ़ वो मसल्ज़ होती हैं जो कंधे को ऊँचा उठाने में मदद करती है। चोट लगने से ये मसल्ज़ फट जाती है और कंधा ऊपर ले जाने में दर्द हो सकता है। कफ़ tear दो तरह का हो सकता है। partial में कसरत और इंजेक्शन से सही करने की कोशिश की जाती है। अगर फ़ायदा ना हो तो दूरबीन द्वारा कंधे में नस को रिपेयर करना होता है।
कम्प्लीट रोटेटर कफ़ tear में सर्जरी ही एक मात्र विकल्प होता है। इसमें ज़्यादा लेट नहीं करना होता वरना रेपेयर करना डिफ़िकल्ट होता जाता है।
कंधे में दर्द का एक कारण फ़्रोज़ेन शोल्डर भी होता है। फ़्रोज़ेन शोल्डर में कंधा जाम सा हो जाता है। कंधे के जोईँट के चारों तरफ़ एक कैप्सूल पाया जाता है जो कम्बल की तरह कंधे के चारों तरफ़ लिपटा रहता है। ये जब बहुत मोटा हो जाता है। तो कंधे के movement बहुत कम हो जाते हैं। फ़्रोज़ेन शोल्डर का इलाज इंजेक्शन और फ़िजीयोथेरेपी से किया जाता है। इसमें कसरत द्वारा कप्सूल को स्ट्रेच करके ढीला किया जाता है। इसमें 3 से 8 हफ़्ते लग सकते है। कभी कभी जब कसरत और इंजेक्शन से फ़ायदा नहीं होता तो दूरबीन द्वारा इलाज किया जाता है।